बाजरा की बुवाई के दौरान ध्यान रखने वाली बातें|Things To Keep In Mind During Sowing Of Millet
ग़रीबों का भोजन – बाजरा, मोटे दाने वाली खाद्यान्न फ़सलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बाजरा की बुवाई मुख्य रूप से जून से मध्य अगस्त महीने तक होती है, जिसमे दाने के लिए जुलाई से मध्य अगस्त तक और चारे के लिए जून के आख़िरी हफ़्ते से लेकर जुलाई के दूसरे हफ़्ते तक का समय अच्छा होता है। बाजरा की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
बाजरा के खेत की तैयारी
पौधों के अच्छे विकास के लिए खेत को बुवाई से पहले 1 बार प्लाऊ से गहरी जुताई और 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए, जिससे पूरे खेत में मिट्टी भुरभुरी बनी रहे और पौधों की जड़ों का अच्छी तरह से विकास हो।
पोषक तत्व प्रबंधन
ज़मीन तैयार करने के दौरान 1 हेक्टेयर ज़मीन में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन और 50-50 किलोग्राम पोटेशियमऔर फॉस्फोरस का उपयोग करना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा उपज ले सकें। इसमें से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फोरस का प्रयोग जुताई के समय और 50 किलोग्राम नाइट्रोजन बुवाई के 30 दिन बाद आपको डालना है।
बाजरे की बुवाई के लिए संकर बाजरा की उन्नत किस्में
खेत की तैयारी करने के बाद जब बात आती है बुवाई की, तो उसके लिए संकर प्रजाति की उन्नतशील किस्मों जैसे कि सयाजी संकर बाजरा 1210 और 1211 का चुनाव करना ज्यादा अच्छा है। संकर बाजरा ना केवल ज्यादा दाना और हरा चारा देता है, बल्कि ये आसानी से रोग से प्रभावित और गिरता नहीं हैं। खरीब मौसम के लिए सयाजी -1211 किस्म बहुत बढ़िया है।
बीज की मात्रा और बीजोपचार
एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए 4 से 5 किलोग्राम बाजरा बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले बीज को 2.0 % पोटेशियम क्लोराइड या 3.0% सोडियम क्लोराइड (नमक) के द्रावण में 16 घंटे तक डुबोकर रखें और उसके बाद 5 घंटे छाव में सुखाकर ही बुवाई के लिए उपयोग करें। इससे बीजों को रोग नहीं लगेगा और वे ज्यादा अंकुरित होंगे।
बुवाई की पद्धति
बाजरा की बुवाई के 2 तरीके होते हैं – (1) ब्रॉडकास्ट पद्धति, और (2) लाइन सोविंग पद्धति।
(1) ब्रॉडकास्ट पद्धति
ब्रॉडकास्ट पद्धति में जुताई के बाद खेत में सीधे बाजरा के बीजों को हाथ से बिखेर देते हैं और उसमें पौधों के बीच का अंतर फ़िक्स नहीं होता।
(2) लाइन सोविंग पद्धति
लाइन सोविंग पद्धति में दो पंक्ति के बीच 40 से 45 सेंटीमीटर, और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखी जाती है।
लाइन सोविंग को आप रोपण और बीजों की बोवाई, दोनों तरीकों से कर सकते हैं।
(i) रोपण
रोपण यानी ट्रांसप्लांटिंग तरीके में बीजों को नर्सरी में तैयार करके उनका रोपण 15 से 20 दिन बाद मुख्य खेत में कर दिया जाता है।
(ii) बीजों की बुवाई
बीजों की बुवाई विधि में बीज को मशीन या मज़दूर की मदद से, खेत में ज़मीन की सतह से 4 सेंटीमीटर गहराई में बुवाई कराते हैं।
तो, किसान भाइयों, आशा है इस बार बाजरा की बुवाई में आप इन अहम बातों का ध्यान रखकर बाजरा उत्पादन में अधिक से अधिक सफलता और पैसा कमाएंगे। बाजरा की बुवाई या अन्य खेती-किसानी कामों को लेकर आपके मन में सवाल हो तो सयाजी सीड्स के वैज्ञानिकों को कमेंट बॉक्स में पूछें।
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Millet, also known as the food of the poor, holds an important place in food crops. Sowing of millet is mainly done from June to mid August. The best time is from July to mid-August for millet grains and from the last week of June to the second week of July for fodder. Loam soil is considered good for millet cultivation.
Preparation of millet field
For good growth of plants, the field should be ploughed deep with plough once and 2-3 times with cultivator before sowing. This will keep the soil of the entire field soft and the roots of the plants will grow well.
Nutrient management
During the preparation of land, 100 kg of nitrogen and 50-50 kg of potassium and phosphorus should be used in 1 hectare of land, so as to get maximum yield. Out of this, you have to use 50 kg of nitrogen, potassium and phosphorus at the time of ploughing and 50 kg of nitrogen 30 days after sowing.
Advanced varieties of hybrid millet for sowing of millet
When it comes to sowing after preparing the field, it is better to choose hybrid varieties such as Sayaji hybrid millet 1210 and 1211. The hybrid millet not only gives you more grain and green fodder, but they are not easily affected by disease and fall apart. Sayaji-1211 variety is excellent for the Kharib season.
Seed quantity and seed treatment
For sowing 4 to 5 kg of seed is required in one hectare. Before sowing, soak the seeds in a mixture of 2.0% potassium chloride or 3.0% sodium chloride (salt) for 16 hours and then dry for 5 hours in the shade and use it for sowing. The seeds will not get diseases and they will sprout more.
Method of sowing
There are 2 methods of millet sowing – (1) broadcast method, and (2) line sowing method.
(1) Broadcast method
In the broadcast method, after ploughing the field, the seeds of millet are scattered directly by hand and there is no definite difference between the plants.
(2) Line sowing method
In line sewing method, the distance between two lines is 40 to 45 centimetre, and the distance from plant to plant is 15 to 20 centimetre.
You can perform line sowing both by transplanting and sowing seeds.
(i) Transplanting
In the method of transplanting, seeds are prepared in a nursery and planted in the main field after 15 to 20 days.
(ii) Sowing of seeds
In the sowing method, the seeds are sown with the help of a machine or labour at a depth of 4 cm from the surface of the land in the field.
Hope that from now on, you will do all these important things in the sowing of millet and cultivate and achieve greater success and money in millet production.
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