कपास में चूसक कीटों का प्रबंधन|Management Of Sucking Pests In Cotton
बरसात के मौसम के दौरान कपास की फसल को सफेद मक्खी, थ्रिप्स और हरा तेला वगैरह रस चूसक कीट काफी नुकसान पहुँचाते हैं। रस चूसक कीटों की रोकथाम के लिए ये बड़ा जरूरी है कि इनकी पहचान और निवारण सही समय पर कर लिया जाए। भाइयों, अगर आपको कपास के पौधों की पत्तियां किनारों से मुड़ी, चमकीली, तेलिया या चिपचिपी दिखाई दें, तो ये बात पक्की समझिये कि आपकी फ़सलें रस चूसक कीटों से संक्रमित हैं।
हमारे आज के लेख कपास में चूसक कीटों का प्रबंधन में हम आपको इन्हीं रस चूसक कीटों के प्रबंधन के बारे में तफ्सील से बताने जा रहे हैं। आगे पढ़े…
कपास में रस चूसक कीटों की रोकथाम के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं-
– कपास की फसल को कीटों से बचाने के लिए बुवाई समय पर करें।
-पानी के तनाव से बचाने के लिए खेत की अच्छी तरह से सिंचाई की जानी चाहिए।
-बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए वायरस संक्रमित पौधों को समय-समय पर खेत से निकालते रहें।
-सफेद मक्खी के नापसंद मेजबान फ़सलों जैसे कि सोरघम, रागी, मक्का वगैरह वाले फसल चक्र को अपनाएं।
– समय-समय पर खेत का मुआयना करें और उगने वाले खरपतवारों को हटाते रहें।
-कीट की निगरानी और नाश के लिए लाइट ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
– एक बार में नाइट्रोजन की पूरी खुराक देने से बचें। इसके बजाय, इसे 3-4 हिस्सों में दें।
-चेपा (एफिड), हरा तेला और थ्रिप्स (चूरड़ा) की फ़सलों से रक्षा करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस को 7 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचार करें।
-कीट और रोग प्रबंधन के लिए, प्रति हेक्टेयर एन.एस.के.ई. 5 प्रतिशत या 3 प्रतिशत नीम के तेल को 15 लीटर पानी में घोल कर अथवा 1500 पी.पी.एम वाले एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) का प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर इस्तेमाल करें।
– ट्राईजोफास 40 ई.सी की 1500 से 2000 मिली मात्रा या थायोमेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी कीटनाशक की 100 ग्राम मात्रा का 500 लीटर पानी में घोल तैयार करके प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
ध्यान रखें- आपको रसायनों का प्रयोग आखिरी रास्ते के तौर पर ही करना है। आप जिस भी रसायन का प्रयोग करें, उसे दोबारा न दोहराएं।
किसान भाइयों, अच्छा होगा यदि कपास की अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन को हासिल करने के लिए आप कपास की बीटी वैराइटी के बीज को लगाएं। सयाजी सीड्स ने किसानों की मांगों को ध्यान में रखते हुए बाजार में सयाजी 4014 और 4015 बीटी कपास उतारा है जो रस चूसक कीड़ों जैसी कई समस्याओं से लड़ने की बेमिसाल क्षमता रखता है। तो, अगर आप नरमा कपास की खेती करने वाले किसान हैं, तो एक बार इसे लगाकर ज़रूर देखें।
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During the rainy season, white flies, thrips and leafhoppers, etc., cause damage to the cotton crop. It is very important to identify and prevent them at the right time. If you see the leaves of cotton plants twisted, shiny, oily or sticky from the edges, then your crops can get infected by the sucking pests.
In this article, we are going to tell you about the management of these sucking pests. Read more …
There are several steps you can take to prevent sucking pests in cotton:
– To protect cotton crops from pests, do sowing on time.
-The farm should be well irrigated to protect it from water stress.
-To prevent the spread of diseases, keep removing the virus infected plants from the field from time to time.
-Use crops such as sorghum, ragi, maize which Whitefly dislike most.
– Periodically inspect the field and remove the weeds that grow.
-Use light loop and pheromone trap to monitor and destroy pests.
– Avoid giving a full dose of nitrogen at once. Instead, give it in 3-4 portions.
-To protect aphids, green leafhoppers and thrips from crops, spray imidacloprid 70 WS at 7 grams per kg of seed with 500 liter of water.
-Use botanical methods such as Neem oil 3% 15 lit/ha or Spray 5% NSKE or azadirachtin 1500 ppm at 5 ml/lt for pest and diseases management
– Prepare 1500 to 2000 ml of Triazophos 40 EC or 100 gm of Thiamethoxam 25% WG pesticide in 500 liters of water and spray at the rate of per hectare.
Keep in mind – you have to use chemicals as the last option. Do not repeat any chemical you use.
It would be better if you plant Bt variety of cotton seeds to get good quality and production of cotton. Sayaji Seeds has introduced Sayaji 4014 and 4015 Bt cotton in the market keeping in mind the demands of the farmers, which has an unmatched ability to fight many problems like sucking pests. So, if you are a farmer cultivating cotton, then do try it once.
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