टिड्डी दल से नियंत्रण के उपाय | Locusts and their control
अगर आप खेती-बाड़ी करते हैं तो सावधान हो जाइए। इस दुश्मन का अगला पड़ाव आपका खेत भी हो सकता है। इस खतरे का नाम है पाकिस्तान की ओर से भारत में घुसपैठ करने वाला टिड्डी दल। कीट वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान ‘डेजर्ट हॉपर’ प्रजाति की टिड्डियों के तौर पर की है। खरीब की फसलें खराब करने के बाद, अब इसकी बुरी नजर रबी की फसल पर भी है।
👉 टिड्डियां क्या हैं? 👈
सयाजी के कृषि विज्ञानियों के अनुसार, टि़ड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से उन्हें पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नहीं होती है। लेकिन, झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रामक हो जाता है। फ़सलों को एकबारगी सफ़ाया कर देती हैं। आपको दूर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फ़सलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो। कुछ समय पहले अफ़्रीकी देशों में इन्होंने फ़सलों को काफी नुकसान पहुंचाया हैं।
👉 टि़ड्डियां क्या खाती हैं 👈
हैरत की बात यह है कि टि़ड्डियां फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सबुकछ खा जाती हैं। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल अमूमन 40 से 85 दिनों का होता है।
👉 टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपाय 👈
कृषि विभाग की फील्ड टीम टिड्डी दल की उपस्थिति को लेकर लगातार ट्रैकिंग कर रही है। रात के समय टिड्डियां जहां भी सेटल होती है उसकी खबर भारत सरकार की लोकस्ट टीम तक पहुंचाई जाती है। जिससे सुबह के समय टिड्डियों के ऊपर दवा का छिड़काव किया जा सकें।
सयाजी ग्रुप के कृषि वैज्ञानिकों ने टिड्डी दल से नियंत्रण के कई मार्ग सुझाएं हैं।
👉 टिड्डी दल से बचाव के उपाय – 👈
सयाजी कीट वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान भाई टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते हैं –
फसल के अलावा, टिड्डी कीट जहां इकट्ठा हो, वहां उसे फ्लेमथ्रोअर से जला दें।
- टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़़े, लाउटस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं। जिससे वे आवाज़ सुनकर खेत से भाग जाएं, और अपने इरादों में कामयाब ना हो पाएं।
- टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों, वहां 25 कि.ग्रा 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।
- टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा धान की भूसी को 0.5 कि.ग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें। इसके जहर से वे मर जाते हैं।
- टिड्डी दल के खेत की फसल पर बैठने पर, उस पर 5 प्रतिशत मेलाथीयोन या 1.5 प्रतिशत क्विनाल्फोस का छिड़काव करें।
- कीट की रोकथाम के लिए 50 प्रतिशत ई.सी फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियोन अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें
- टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए, इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें।
- 500 ग्राम NSKE या 40 मिली नीम के तेल को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ, या फिर 20 -40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते।
- फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें। इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं।
किसान भाइयों, सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है जब तक कृषि विभाग का टिड्डी उन्मूलन विभाग, टिड्डी दल प्रभावित स्थल पर पहुंचता है, तब तक ये अपना ठिकाना बदल चुका होता है। ऐेसे में टिड्डी दल से संबंधित पर्याप्त जानकारी और उससे संबंधित रोकथाम के उपायों को अमल में लाना ही एक मात्र विकल्प है।
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If you do farming, be careful. This enemy’s next stop may also be your farm. The name of this threat is the locusts infiltrating into India from Pakistan. Agricultural scientists have identified it as locusts of the ‘Desert Hopper’ species. After spoiling the Kharib crops, now its evil eye is also on the Rabi crop.
👉 What are locusts? 👈
According to Sayaji entomologists, locusts can be distinguished by their bright yellow color and hind legs. Locusts are not as dangerous when they are alone. However, their attitude becomes extremely aggressive when in the herd. They completely eliminate crops. You will feel as if someone has spread a big sheet on your crop. They have caused significant damage to crops in African countries.
👉 What do locusts eat 👈
Locusts eat flowers, fruits, leaves, seeds, tree bark, and sprouts. Each locust eats food equal to its weight. In this way, a locust-swarm eats 2500 to 3000 people. Locusts typically have a life span of 40 to 85 days.
👉 Measures being taken for locust-swarm control 👈
The field team of the Agriculture Department is constantly tracking the locust-swarm presence. Wherever the locusts are settled at night, the news of the locust team of the Government of India is conveyed. So that the insecticide can be sprayed on these locusts in the morning.
Sayaji group agricultural scientists have made several suggestions for control from the locust-swarm.
👉 Measures to prevent locust-swarm 👈
According to Sayaji Group of entomologists, farmers can adopt many measures to avoid the locust-swarm.
- Make noise through drums, loudspeakers or other things to drive locusts away from the field. So that they flee away after hearing the voice, and do not succeed in their intentions.
- In addition to the crop, when they gather in empty space, burn it from a flamethrower.
- At the place where the locust has laid its eggs, sprinkle 25 kg of 5 percent Malathion or 1.5 percent Quinalphos per hectare.
- To prevent locusts from moving, mix 100 kg of paddy husk with 0.5 kg of Fenitrothion and 5 kg of jaggery and spray it on the field. Locusts die from this poison.
- When the locust sits on the field crop, sprinkle 5% malathion or 1.5% quinalphos on it.
- To prevent pest, spray 50 percent EC Fenitrothion or Malathion or 20 percent EC Chlorpyrifos having 1 liter in 800 to 1000 liters of water per hectare.
- The locust-swarm changes its location just after 10 in the morning. Therefore, sprinkle 5 percent Malathion or 1.5 percent quinalphos to prevent it from proceeding.
- Spray 500 gm NSKE or 40 ml neem oil with 10 gm of washing powder, or 20 – 40 ml neem prepared in 10 liters of water. This prevents these locusts from eating crops.
- After plowing the crop, plow the field deeply. This destroys locusts’ eggs.
Right now the biggest concern is that by the time the Locust-Swarm Eradication Department of the Agricultural Department reaches the affected place, these locusts change their locations. Hence, the only option is to implement prevention measures and trying to either stop them or killing them.
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