धान की नर्सरी में रोग, कीट और पोषक तत्व प्रबंधन | Disease, Pest and Nutrient Management in Paddy Nursery
किसान भाइयों, खरीब के मौसम में धान का बिचड़ा तैयार करने का सही वक्त हो चला है। उन्नत खेती का आधार एक स्वस्थ नर्सरी मानी जाती है। तो, हमारे आज के विषय – धान की नर्सरी में रोग, कीट और पोषक तत्व प्रबंधन में हम आपको धान की स्वस्थ पौध तैयार करने से संबंधित आवश्यक जानकारियों का खुलासा करने जा रहे हैं।
रोग प्रबंधन
धान की नर्सरी अवस्था में पौधों में अक्सर झुलसा रोग, भूरा धब्बा और टुंग्रो वायरस का प्रकोप देखा गया है। इसकी रोकथाम के लिए रोग के लक्षण दिखाई देते ही निम्न उपायों को काम में लाएं-
– नर्सरी में अधिक नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग करने से बचें।
– धान की सहिष्णु किस्मों का उपयोग करें। सयाजी संकर धान 2011, 2012 और 2018 प्रमुख कीटों और रोगों के प्रति सहनशीलता रखता है जिससे आपको अच्छी उपज मिलती है।
– बीज का सूखा उपचार करने के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस पाउडर की 10 ग्राम मात्रा को प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचार करें। बीजोपचार करने से बीजों से पैदा होने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
– नर्सरी में 2.5 सेमी की गहराई तक पानी रखें। 2.5 किग्रा स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस / ट्राइकोडर्मा विरडी पाउडर का छिड़काव करें और उसे नर्सरी के पानी के साथ मिला दें। 30 मिनट तक पौधों की जड़ों को इसमें भिगो कर रखें और इसके बार प्रत्यारोपित करें।
– बीज उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम, या ट्राईसाइक्लोजोल को 2.0 ग्राम / किग्रा बीज की दर से अच्छी तरह से बीजों में लगा दें।
– कार्बेन्डाजिम या ट्राईसाइक्लोजोल का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
कीट प्रबंधन
धान की नर्सरी में थ्रिप्स, केस वर्म, आर्मी वर्म, और हरे फुदके वगैरह कीड़े पौधे को काफी हानि पहुचांते हैं। तो, इसके नियंत्रण के लिए कीट प्रबंधन जरूरी रहता है।
– कीटों से बचाव के लिए, नर्सरी में से पानी को निकाल दें और वहां क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी 80 मिली / क्विनालफॉस 25 ईसी 80 मिली का छिड़काव करें।
– बेसल मात्रा के रूप में 12.5 किलोग्राम नीम केक को प्रति 10 मीटर वर्ग की नर्सरी में डालें।
– पानी में 250 मिलीलीटर केरोसिन मिलाएँ।
पोषक तत्व प्रबंधन
धान की फसल के अच्छे विकास और उससे एक बढ़िया उत्पादन लेने के लिए नर्सरी में पोषक तत्व प्रबंधन अच्छी तरह से किया जाना चाहिए।
– इसके लिए, भरपूर पानी में 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तीन पैकेट एज़ोस्पिरिलम और तीन पैकेट फास्फोबैक्टीरिया या एज़ोस्पिरिलम की दोगुनी मात्रा के साथ यानी 1200 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीजोपचार करें।
– यदि पौध को 25 दिनों के बाद बाहर निकालना है, तो बाहर निकालने के 10 दिन पहले डीएपी का प्रयोग करें।
– 1 किलो डीएपी और 4 किलोग्राम जिप्सम को बुवाई के 10 वें दिन 10 मीटर वर्ग क्षेत्र के लिए काम में लाया जा सकता है।
तो, किसान भाइयों, आशा है धान की नर्सरी में रोग, कीट और पोषक तत्व प्रबंधन का हम यह वीडियो आपको ज़रूर पसंद आया होगा! अगली बार हम फिर खेती के किसी नये विषय को लेकर हाज़िर होंगे। हमारे नए वीडियो और कृषि से जुड़ी जानकारियाँ पाने के लिए सयाजी सीड्स के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करके कृषि साक्षरता सिरीज़ देखिए। अपनी समस्याओं और सुझावों को कमेंट बॉक्स में लिखें। हमारे कृषि वैज्ञानिक आपके सवालों का जल्द से जल्द जवाब देंगे।
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This is the time of the Kharib season and the time has come to prepare paddy nursery. The basis of advanced farming is a healthy nursery. So, in today’s article we are going to disclose to you the necessary information related to disease, pest and nutrient management in paddy nursery.
Disease management
In the paddy nursery stage, outbreaks of blast, brown spot and tungro virus disease have often been observed in plants. To prevent this, use the following measures as soon as symptoms of the disease are seen-
– Avoid using excess nitrogen fertilizer in the nursery.
– Use tolerant varieties of paddy. Sayaji hybrid paddy 2011, 2012 and Sayaji 2018 has tolerance to major pests and diseases, which gives you better yield.
– For dry treatment of seeds, treat 10 grams of Pseudomonas Fluorescens powder at the rate of 1 kg of seed. Seed treatment can prevent diseases arising from seeds.
– Keep water to a depth of 2.5 cm in the nursery. Spray 2.5 kg Pseudomonas Fluorescens / Trichoderma virdi powder and mix it with nursery water. Soak the roots of the plants in it for 30 minutes and transplant it frequently.
– For seed treatment, apply Carbendazim, or Tricyclazole. at the rate of 2.0 g / kg seed.
– Spray Carbendazim or Tricyclazole. with 1 gram per liter of water.
Pest management
In the paddy nursery, thrips, case worms, army worms, and green leafhopper, etc., cause considerable damage to the plant. So, pest management is essential for its control.
– To prevent pests, remove the water from the nursery and spray Chlorpyrifos 20 EC 80ml / Quinalphos 25 EC 80ml.
– Apply 12.5 kg neem cake to the nursery at the rate of 10 m per square as a basal dose.
– Mix 250 ml kerosene in water.
Nutrient management
Nutrient management should be done well in the nursery to achieve good growth of paddy crop and a better production from it.
– Do seed treatment with three packets of Azospirillum and three packets of phosphobacteria or double quantity of Azospirillum i.e. 1200 grams per hectare at 600 grams per hectare with sufficient water.
– If the plant is to be taken out after 25 days, use DAP 10 days before.
– 1 kg of DAP and 4 kg of gypsum can be used for a 10 meter square area on the 10th day of sowing.
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