जैविक सब्जी की खेती|Organic Vegetable Farming
किसान भाई-बहनों,बिना रसायन वाली प्राकृतिक खेती ही जैविक खेती है। इसमें गोबर खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक्र और प्रकृति में मिलने वाले खनिज पदार्थों द्वारा पौधों को पोषक तत्वों दिए जाते हैं। जैविक खेती में रोग व कीट प्रबंधन के लिए प्रकृति में मौजूद मित्र कीटों, जीवाणुओं, जैव एजेंट और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। रसायनों का प्रयोग नहीं होने से जैविक खेती कम मंहगी होती है और इससे निकलने वाले जैविक उत्पादों का मंडी भाव भी ज्यादा होता है।
जैविक सब्जी की खेती करते वक्त अक्सर ये प्रश्न रहता है कि पौधों को समय-समय पर पोषक तत्वों, खाद-पानी, और कीटनाशक वगैरह की आवश्यकता पड़ती है, तो इन सब चीजों को कैसे दिया जाए।
सयाजी सीड्स के आज के अंक में इन्हीं सारी चीजों पर चर्चा की गयी है।
सब्जी की जैविक खेती में इन बातों का अवश्य ध्यान रखें–
1- गर्मियों में खेत की गहरी जुताई द्वारा ज़मीन में निष्क्रिय पड़े कीटों और रोगों को नष्ट कर दें।
2- रोग-कीट से बचाव के लिए संक्रमित पौधे को तुरंत हटा दें।
3 – समय-समय पर खेत में ज़मीन की निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें।
4- सड़ी हुई जैविक खाद जैसे एफवाईएम को 12.5 से लेकर 25 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें।
5- मिट्टी में लगने वाले रोग जैसे कि दीमक की रोकथाम के लिए अरंडी या नीम की खली की 1 टन मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें।
6- मिट्टी के रोग उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा विरडी या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 2.5 किलो और कीट प्रबंधन के लिए ब्यूवेरिया बेसियाना या मेटाराइज़ियम एनीसोपली की 2.5 किलो मात्रा को 100 किग्रा एफवाईएम के साथ मिलाकर उसे 1 हेक्टेयर भूमि में छिड़काव करें।
7- बीजों से पैदा होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए ट्राइकोडर्मा विरडी या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम-मिली मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। पोषक तत्वों की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए एज़ोस्पिरिलम और फॉस्फोट घुलनशील बैक्टीरिया या पोटाश का इस्तेमाल करें।
8- जैविक सब्जी की खेती में रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए सब्जी फसल की प्रतिरोधी या सहनशील किस्म लगाएं।
9- रोग की जानकारी मिलते ही, ताजा गोबर के अर्क की 200 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर के हिसाब से पानी के साथ मिश्रित करके दिन में दो बार और उसके बाद दो सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करें।
10- कीट और व्याधि नियंत्रण के लिए, 60 ईसी नीम के तेल को 30 मिली लीटर या एनएसकेई की 50 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर महीने में दो बार छिड़काव कर दें।
11- रोग नियंत्रण के लिए, सुबह या शाम में जैव नियंत्रण एजेंट जैसे कि स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 100 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करें।
12-जैविक खेती मिट्टी की उर्वरा शक्ति और जल धारण क्षमता को बढ़ाती है। अगर आप जैविक सब्जी की खेती शुरु करने के अभिलाषी हैं तो आपको 3 साल तक किसी भी तरह के रसायनों के प्रयोग से दूर रहना चाहिए।
मित्रों, आज कोरोनावाइरस कमजोर लोगों को अपना शिकार बना रहा है। जैविक सब्जियों का हर दिन सेवन आपके शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है और कोरोना जैसी भयंकर बीमारियों के सामने कवच बनकर आपकी रक्षा करता है।
तो क्यों न आज से ही ऑर्गेनिक सब्जी की खेती प्रारंभ करें और मिट्टी व शरीर दोनों को स्वस्थ रखें
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Natural farming without chemicals is called organic farming. In this, nutrients are supplied to the plants by cow dung manure, compost, bacterial manure, crop residues, crop cycle and mineral substances present in nature. Organic farming uses friendly pests, bacteria, bio-agents and organic pesticides available in nature for disease and pest management. Due to non-use of chemicals, organic farming is less expensive and the market price of organic products derived from it is also very high.
While cultivating organic vegetables, there is often a question that plants need nutrients, fertilizer, and pesticides from time to time, so how to supply all these things.
All these things are explained in detail here.
Be aware of these things in the cultivation of organic vegetables –
1- In summer, by deep plowing, destroy pests and diseases lying dormant in the ground.
2- Immediately destroy the infected plant for protection from pests.
3 – Periodically remove weeds from the field by weeding the land.
4-Organic manure like FYM should be applied at the rate of 12.5 to 25 tonnes per hectare.
5- For prevention of diseases like termites in soil, apply 1 ton of castor or neem cake per hectare.
6- For soil disease treatment, mix 2.5 kg of Trichoderma virdi / Pseudomonas fluorescens and 2.5 kg of Beauveria basiana or Metarazium anisopoly for pest management with 100 kg FYM and spray it on 1 hectare of land.
7- Do seed treatment with seed treatment with Trichoderma viride / Pseudomonas fluorescens at 10 ml/kg for seed-borne diseases management and Bio-fertilizer i.e., Azospirillum and Phosphate solubilizing bacteria or Potash mobilizing bacteria for nutrient supplements.
8- Grow a resistant or tolerant variety of vegetable crop for pest and disease management.
9- As soon as the disease is detected, spray 200 ml of fresh dung extract with water per liter and spray it twice a day and after that at a two weeks interval.
10- Spray neem oil 60 EC at 30 ml/liter orNSKE at 50 ml/liter of water twice in month, starting from initial symptoms of diseases and pest for pest and diseases management
11- Apply Biocontrol agents like Pseudomonas fluorescens at 100 gm/liter during cool hours, preferably morning or evening for disease management.
12- According to Sayaji Seeds experts, organic farming increases soil fertility and water holding capacity. If you want to start organic vegetable farming, then you should avoid using any kind of chemicals for 3 years.
Today the Coronavirus (COVID-19) is rapidly engulfing people with weak immunity. Daily intake of organic vegetables strengthens your body’s immune system and protects you by shielding you from severe diseases like corona.
So why not start cultivating organic vegetables from today and keep healthy both soil and body.
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