मिर्च की खेती में कीट व रोग नियंत्रण|Pest And Disease Control In Chilli Farming
मिर्च की फसल कुल मिलाकर 8 महीने की होती है जिसकी तुड़ाई 8 से 10 बार की जा सकती है। लेकिन, आप मिर्च की फसल से अच्छा उत्पादन और मुनाफ़ा तभी ले सकते हैं, जब फसल इस दौरान पूरी तरह से निरोगी रहे।
सयाजी सीड्स के विषय एक्सपर्ट्स के अनुसार, कई प्रकार के कीट जैसे कि माइट, थ्रिप्स, चेंपा, सफेद मक्खी, कर्तनकीट और फल छेदक वगैरह मिर्च की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही साथ, मिर्च में लगने वाले कई रोग जैसे कि डंपिंग ऑफ, फ्रूट रॉट एंड डाई बैक, पाउडरी मिल्ड्यू, लीफ स्पॉट, विल्ट और लीफ कर्ल वायरस वगैरह रोग मिर्च की उपज के लिए अक्सर खतरा बन जाते हैं।
आज के लेख में देखते हैं, गर्मियों में मिर्च की खेती में कीट व रोग नियंत्रण के लिए कौन सा रास्ता अपनाएं
मिर्च में कीट और रोग उपचार
1. मिर्ची की खेती में रोग प्रबंधन के लिए मिर्च बीज का उपचार ट्राइकोडर्मा विरडी या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम मात्रा को प्रति 100 ग्राम बीज के साथ करना चाहिए।
2. फिर बीज के अच्छे अंकुरण के लिए उसे एज़ोस्पिरिलम के साथ मिलाकर किसी छायादार जगह पर आधे घंटे के लिए सूखने दें।
3. खेत की तैयारी करते समय ट्राइकोडर्मा / स्यूडोमोनास की 2.5 किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से एफवाईएम के साथ और जैविक कीटनाशक अरंडी या नीम की खली का 1 टन प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
4. खेत में से खरपतवार का पूरी तरह से नाश कर दें।
5. एक बार में नाइट्रोजन की पूरी खुराक देने के बजाय 3-4 बार में दें।
6. पानी के तनाव से बचने के लिए खेत की अच्छी तरह से सिंचाई करें।
7. फल छेदक से बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर 12 फेरोमोन ट्रैप और बेसिलस थुरिंगिनेसिस की 2 ग्राम प्रति लीटर मात्रा या फ्लुबेंडियामाइड की 2.5 मिली मात्रा को प्रति लीटर के हिसाब से या स्पिनोसैड की 3.5 मिली मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। बिगड़े हुए फलों और इल्लियों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
8. कीट प्रबंधन के लिए, इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल की 0.3 मिली / लीटर मात्रा या थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी की 0.25 ग्राम / लीटर मात्रा या एसिपेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ खेत में स्प्रे करें।
9. समय-समय पर खेतों से वायरस संक्रमित पौधों को हटाते रहें।
10. मिर्च खेती में लगने वाले रोगों की रोकथाम के लिए, क्लोरोथालोनिल 75% डबलूपी की 2.0 ग्राम / लीटर मात्रा या मैनकोजेब 75% डबलूपी की 2.0 ग्राम / लीटर मात्रा या प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी की 2.0 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
अगर आप अगर हमारे बताए इन उपायों को अमल में लाएंगे तो न केवल आपको कीट व रोग से मुक्ति मिलेगी, बल्कि अच्छे उत्पादन के साथ-साथ अच्छा रिजल्ट भी मिलेगा।
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Chilli crop is an 8-month crop in total, which can be harvested 8 to 10 times. But, you can get good production and profits from chilli crop only when the crop remains completely healthy during this period.
According to the subject experts of Sayaji Seeds, several types of pests such as mites, chilli aphids, chilli thrips, white flies, cutworm and fruit borers, etc., cause the most damage to the chilli crop. At the same time, many diseases associated with chillies such as dumping off, fruit rot and die back, powdery mildew, leaf spot, chilli wilt, and leaf curl virus, etc., often pose a serious threat to chilli production.
In today’s article, let us see which path to take for the control of pest and disease in summer chilli cultivation:
Pest and disease remedy in chilli
1. For chilli diseases management seeds are treated with Trichoderma viride / Pseudomonas fluorescens @ 10 gm/100 grams seeds which prevent diseases.
2. The seeds are then mixed with Azospirillum and for half an hour they are shade dried for better seed germination and plant growth.
3. Apply Trichoderma / Pseudomonas @ 2.5 kg/ha with FYM during field preparation and castor cake or Neem cake @ 1 tonne/ha for management of soil-borne diseases management.
4. Destroy the weed completely from the field.
5. Avoid excess dose of nitrogen and Apply Nitrogen in 3-4 split doses
6. The field should be well irrigated to avoid water stress.
7. For fruit borer management Set up pheromone traps @ 12 /ha and Spray Bacillus thuringiensis @ 2 g/lit OR Flubendiamide @ 2.5 ml/liter OR Spinosad @ 3.5 ml/ 10 liter of water. Collection and destruction of damaged fruits and grown up caterpillars.
8. Spray in the field with Imidacloprid 17.8% SL @ 0.3 ml/litre OR Thiamethoxam 25% WG @ 0.25 gm/litre OR Acephate 50% + Imidacloprid 1.8% SP @ 1 gm/litre of water for pest management
9. Periodically remove virus infected plants from the fields.
10. Spraying of Chlorothalonil 75% WP @ 2.0 g/liter or Mancozeb 75% WP @ 2.0 g/liter or Propiconazole 25% EC @ 2.0 ml/liter of water for diseases management
Farmers, if you implement these measures , not only will you get rid of pests and diseases, but you will also get good results along with good production.
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